अध्यक्ष श्री के. सी. मालू

वीणा म्यूजिक कम्पनी कई दशकों से राजस्थानी संगीत के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य कर रही है।वीणा ने राजस्थानी लोक गीतों की मूल धुनों को कायम रखते हुए उनके संरक्षण तथा जन-जन तक उन्हें पहुंचाने का कार्य किया है।इसके लिए वीणा ने राजस्थान की संस्कृति, रीति-रिवाज, वैवाहिक रस्मों और होली आदि पर्वों को लेकर ऑडियो- वीडियो एलबम तैयार किये हैं। वही उन्हें दूरदर्शन के माध्यम से भी प्रसारित किया है। वीणा ने अपनी सहयोगी संस्था सुरसंग्राम के माध्यम से युवा स्वर साधकों की खोज और उनके स्वरों को तराशने का कार्य भी किया है।

वीणा समूह के अध्यक्ष के.सी.मालू ने युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने और अपनी माटी के संगीत से जोड़ने का अदभुत कार्य किया है। यह सर्वविदित है कि संगीत संस्कारो को परिस्कृत करता है,मन को शांती प्रदान करता है तथा हिंसकव्रतियों को दूर कर एक सकारात्मक सोच उतपन्न करता है।

आज के इस अर्थ प्रधान युग में जहां पैसा कमाने की होड़ लगी हुई है। मालू जी ने युवा पीढ़ी को संस्कारित करने और उसमें संगीत के प्रति रूचि जाग्रत करने का बेड़ा उठाया तथा यह जानते हुए भी उनके इस कार्य से कोई अर्थ की उपलब्धि नहीं होगी,उन्होंने संगीत की एक मासिक पत्रिका "स्वर सरिता" का प्रकाशन शुरू किया।

"स्वर सरिता" मूलतः संगीत पर केंद्रित है।गत तेरह वर्षों से निरन्तर प्रकाशित रही इस पत्रिका में संगीत,संगीतकार था उनसे जुड़े विविध आयामों को लेकर स्तरीय सामग्री का प्रकाशन किया जाता रहा है। गायन वादन एवं नृत्य के अलावा पत्रिका को रोचक बनाने के लिए इसमें अभिनय,कला,संस्कृति थता पर्यटन विषयक सामग्री भी प्रकाशित होती रही है।

स्वर सरिता के अनेक विशेषांक भी प्रकाशित हुए हैं।इनमें प्रति वर्ष फरवरी माह में वसंत अंक, मार्च में होली अंक,अप्रैल में राजस्थान दिवस अंक,जून में जल संस्कृति अंक,अगस्त में वर्षा अंक, अक्टूबर में गांधी विशेषांक प्रकाशित किया जाता है। इसके अलावा स्वर सरिता ने "अशव अंक","पक्षी अंक", वृक्ष अंक, नदी विशेषांक,कूप अंक,हवेली अंक,लोरी अंक,पर्यटन अंक तथा ठुमरी अंक और जयपुर विशेषांक जैसे अंक भी प्रकाशित किये है जो संगीत संदर्भ जगत में बहुत सराहे गये हैं।

स्वर सरिता का प्रयास है कि वह पाठकों को संगीत,कला संस्कृति एवं पर्यटन पर अधूती एवं स्तरीय सामग्री प्रदान करें। वह अपने इसी लक्ष्य पर निरन्तर अग्रसर हैं।